झारखंड/जयपुर. महिलाएं कृषि में हमेशा ही पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती रही हैं। लेकिन आज की महिला कृषक खेत तक सीमित नहीं है, बल्कि नई तकनीक और कम संसाधनों में पैदावार बढ़ाने के साथ ही ऑर्गेनिक खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाने में भी आगे हैं। ऐसी ही एक आदिवासी महिला कृषक हैं असंतलिया पंचायत की सुनीता माहतो, जो रूट इंटेन्सिफिकेशन तकनीक का प्रयोग कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गईं। असल में रूट इंटेन्सिफिकेशन, कृषि की वह तकनीक है, जिसमें कम संसाधनों का उपयोग करते हुए एवं पर्यावरणीय प्रभावों को कम कर उपज बढ़ाई जाती है। सुनीता का परिवार धान की खेती के सहारे भी गुजर-बसर कर रहा था, लेकिन जब वह वर्ष 2003 में स्वयं सहायता समूह कमल फूल महिला मंडल की सदस्य बनीं तो कृषि के प्रति उनका रुझान बढ़ने लगा। प्रदान एनजीओ की ओर से गठित यह समूह किसानों को खेती की नई तकनीक का प्रशिक्षण देता है। सुनीता नियमित कृषि प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेने लगीं और अपने साथ अन्य किसानों को प्रशिक्षित करना शुरू किया।
सुनीता ने किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे अच्छी गुणवत्ता के बीजों एवं ऑर्गेनिक खाद की कमी और फसलों के प्रबंधन संबंधी समस्याओं को दूर कर अच्छी पैदावार की राह दिखाई।
अर्चना कुमावत