आर्थिक प्रगति के मामले में भारत ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. हालांकि, सोशल सेक्टर अभी भी जीडीपी के अनुपात में रफ्तार नहीं पकड़ पाया है. मानव विकास सूचकांक के मामले में 189 देशों में भारत का स्थान 131 है. भारत हेल्थकेयर और एजुकेशन जैसे सेक्टर्स में सबसे नीचे वाले देशों में देशों में आता है.
आज भी भारत सरकार द्वारा सोशल सेक्टर और एजुकेशन के लिए किया जाने वाला खर्च जीडीपी का लगभग तीन फीसदी ही है.
फाइनेंशियल 2023-24 के लिए केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले बजट से पहले हमने हेल्थकेयर, एजुकेशन, ग्रामीण सुधार की दिशा में काम करने वाले एक्सपर्ट्स और एनजीओ से बात की.
पर्यावरण की दिशा में काम करने वाली संस्थाएं पर्यावरण को तो बेहतर बनाना ही चाहती हैं लेकिन इस दौरान वे यह भी चाहती हैं कि छोटे कारोबारियों को इससे नुकसान न पहुंचे और सरकार इस दिशा में भी कदम उठाए.
इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन (IPCA) के फाउंडर आशीष जैन ने कहा, ‘हाल ही में, 1 जुलाई, 2022 से केंद्र सरकार ने 19 एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाया है, जिसकी वजह से काफी सारी लघु एवं मध्यम इकाइयां बंद हो गई है या बंद होने की कगार पर है. हमें उम्मीद है की आने वाले बजट में इन लघु एवं मध्यम इकाइयों की मदद का विशेष प्रावधान होगा और इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी सम्बंधित मदद इन इकाईयो को प्रदान की जाएगी.‘
Reporter