World Indigenous Day 2022: झारखंड में उग्रवाद प्रभावित खूंटी जिला के खूंटी प्रखंड में अफीम की खेती की बुराई फैल रही थी. वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण फैला, तो लोगों की आजीविका पर संकट आन पड़ी. लोगों के व्यवसाय चौपट हो गये. खूंटी जिला का तोरपा प्रखंड भी इससे अछूता नहीं था. इस संकट की घड़ी में भी महिलाओं ने अफीम की बुराई को अपने क्षेत्र से दूर रखा. उन्होंने नयी पहल की. गैर-सरकारी संस्था प्रदान की मदद से फार्मर्स प्रोड्यूस ऑर्गेनाइजेशन (Farmers Produce Organization – FPO) की स्थापना की.
तोरपा महिला कृषि बागवानी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड की स्थापना हुई. दो साल के भीतर इससे 2,250 किसान जुड़ गये. इनमें से 1,600 किसान अनुसूचित जनजाति (Schedule Tribe) से हैं. वर्ष 2020-21 में एफपीओ से 40 गांव जुड़े थे. अब 44 गांव के लोग इससे जुड़ चुके हैं. एफपीओ एक किसान मार्ट का भी संचालन करता है, जहां से किसानों को खाद-बीज उपलब्ध कराये जाते हैं. वर्ष 2020-21 में इसका टर्नओवर 21 लाख रुपये था, जो एक साल बाद यानी वर्ष 2021-22 में 1.25 करोड़ रुपये हो गया. मुनाफा 300 फीसदी बढ़ गया है. पिछले वर्ष एफपीओ ने 3.20 लाख रुपये का मुनाफा कमाया था, जो इस वर्ष बढ़कर 9.80 लाख रुपये हो गया है.
Mithilesh Jha